कोई नहीं। मन है। उड़ान भरता है। सपने देखता है। गिरता है। जख्मी होता है। उठता…
Author: स्वामी भड़ासानंद यशवंत
जीते रहने की कोई वजह नहीं पर ज़िन्दगी बेवजह तो नहीं!
जीते रहने की कोई वजह नहीं पर ज़िन्दगी बेवजह तो नहीं!
जीवन की जो परिभाषा हमने गढ़ रखी है, वह काफी संकुचित और स्थानीय है!
ब्रह्मांड में ढेर सारी दुनियाएं पृथ्वी से बहुत बहुत बहुत पहले से है.. हम अभी एक…
आनंद कहीं भी आ सकता है… गुस्सा किसी पर भी आ सकता है…
आनंद– कहीं भी आ सकता है… गुस्सा– किसी पर भी आ सकता है… इन दोनों को…
आदर्श जीवन मेरे लिए अब वही है जिसमें मनुष्यों की ज़रूरत और उनका साथ शून्य हो जाए!
अगर जीवन मरण का सवाल न हो तो नरक बन चुके दिल्ली-एनसीआर में अपने जीवन के…
मार्च ऑन चिड़ियों, हम तुम्हारे साथ हैं!
Yashwant Singh : दिल्ली लौटने का दिल नहीं कर रहा। गांव में इतना ऑक्सीजन है कि…
सुबह और संगीत : भड़ासी स्टाइल में गायन का लुत्फ लेवें… :)
सुबह जब सो कर उठता हूं तो दिल दिमाग सबसे पवित्रतम मोड में होता है, लगता…